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आवो गोबिन्द प्यारा आवो जी, मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी

Aao govind pyara aao ji mei pakad lun charkhi the to patang

आवो गोबिन्द प्यारा आवो जी,
*मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी*।। (टेर)

।। चन्द्रमहल रा डागळा सूं, देखो राधा राणी।
सखियां रै संग पतंग उडावै, कर-कर खैंचा-ताणी।

थे बी पचरंगी लहरावो जी,
*मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी*।।

।। लाल गुलाबी नीली पीळी, चमकीली अर भूरी।
राधा जी की सैं सूं ऊंची, बा देखो अंगूरी।

थोड़ो उण्डिनै दरसावो जी,
*मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी*।।

।। चान्दधारी, आसमानी, आंखल, पट्टीदार।
डेढकन्नी, दडियल, पडियल, बढिया मांगलदार।

चायै जिमैं तंग डलवावो जी,
*मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी*।।


।। जगमोहन रा डागळा सूं, आपांं करस्यांं लम्बी।
राधा जी जद देखैली तो, होवै निरी अचम्भी।

पाछै सह मं पेंच लडावो जी,
*मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी*।।

।। राधागोबिन्द पतंग उडावै, बलिहारी नर-नार। #bhajanpotli
नील-गगन मं उड रयी सरपट, हो रयी जै-जैकार।


आणन्द सब नै ई लुटवावो जी,
*मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी*।।

।। तान सुणावै राधागोबिन्द, बन्सी मधुर बजा'र।
परमानंद में 'नवल' सुनावै, चरणांं मं सिर नवा'र।

सबकी कटी पतंग लिपटावो जी,
*मैं पकडूंला चरखी थे तो कनख उडावो जी*।। ।।

श्रेणी:

मकर संक्रांति भजन

स्वर:

Sangeeta Aggarwalji

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