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कन्हैया तुम्हें इक नजर देखना है जहाँ तुम छिपे हो,उधर देखना है

Kanhiya tumhe ek nazar dekhna hai

कन्हैया तुम्हें इक नजर देखना है जहाँ तुम छिपे
हो,उधर देखना है कन्हैया तुम्हें इक…….

विदुर,भिलनी के जो घर तुमने देखे,तो तुमको
हमारा भी घर देखना है कन्हैया तुम्हें इक…….

उबारा था जिस दर से गिदध और गज को,हमें
Bhajan potli
उस हाथों का हुनर देखना है कन्हैया तुम्हे इक……

अगर तुम हो दीनों की आहों के आशिक, तो आहों
Bhajan potli
का अपनी असर देखना है कन्हैया तुम्हें इक……..

टपकते है दृग बिन्दु तुमसे ये कहकर,तुम्हे अपनी
उलफत मैं तर देखना है कन्हैया तुम्हें इक……..

श्रेणी:

कृष्ण भजन

स्वर:

Sangeeta kapur ji

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