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प्रभु जी अब खोलो दया के द्वार
Prabhu ji ab kholo daya ke dwar
खोलो दया का द्वार प्रभु जी अब खोलो दया का द्वार
जनम जनम से भटक रहा हूं मत करना इनकार
प्रभु जी अब खोलो दया के द्वार
तेरा मेरा साथ पुराना तू दाता मैं भिखारी
प्यार की भिक्षा डाल दो अब तो खड़ा में झोली पसार
प्रभु जी अब खोलो दया के द्वार
मत ठुकराना दीन को भगवन पतित हूं फिर भी हूं तेरा
या तो कह दो पति तो का तूने किया ना कभी उद्धार
प्रभु जी अब खोलो दया के द्वार
तुम भी अगर प्रभु शुक्र आओगे मिलेगा कहां ठिकाना
सब द्वारों को छोड़ के अब तो पकड़ा तेरा द्वार
प्रभु जी खोलो दया के द्वार
करुणा सागर कहलाते हो करो कृपा अब स्वामी
हाथ पकड़ लो मां जी अब तो नाव पड़ी मझधार
प्रभु जी अब खोलो दया के द्वार
श्रेणी:
विविध भजन
स्वर:
संगीता वर्मा जी