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मेरा श्याम अपने दर पर आंखों से मह पिलाएं

Mera shyam apne dar per aakho se mahe pilaye

मेरा श्याम अपने दर पर आंखों से मह पिलाएं
मोहन जिसे पिलाए उसे होश कैसे आए

मीरा ने पी थी मस्ती उसने मिटा दी हस्ती
और दीवानी हो गई वो और बावरी कहाए
मेरा श्याम अपने दर पर आंखों से मह पिलाए

एक मीत था सुदामा वो यार था पुराना
खाकर के कच्चे चावल प्रभु दोस्ती निभाए
मेरा श्याम अपने दर पर आंखों से मह पिलाए

हे दीनबंधु तेरी यह दया नहीं तो क्या है
ठुकराए जिसको दुनिया उसे तू गले लगाए
मेरा श्याम अपने दर पर आंखों से मह पिलाए

श्रेणी:

कृष्ण भजन

स्वर:

Meenu Sethi ji

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