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मोहन की जो याद आई अशकों को बहाने दो
Mohan ki jo yaad aayi ashkon ko bahane do
मोहन की जो याद आई अशकों को बहाने दो
जिन राहों से आना है राहों को सजाने दो
मोहन की जो याद........
हट जाओ सभी दर से मेरे शाम के दरबानों
चौखट पे जरा उनकी मस्तक को झुकाने दो
जिन राहों से आना......
सुनती हूँ मेरे मोहन नजरों से पिलाते है
नजरों से जरा उनकी नजरें तो मिलाने दो
जिन राहों से आना........
दुनियाँ में यहाँ मेरी कोई नहीं सुनता
जो सबकी सुनता है उसको तो सुनाने दो
जिन राहों से आना........
रूठना ओर तडपाना बांकी अदा उनकी
वो रूठे रहे चाहे मुझको तो मनाने दो
जिन राहों से आना.......
श्रेणी:
कृष्ण भजन
स्वर:
संगीता कपूर जी
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