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रूप सलोना देख श्याम का, सुध बुध मेरी खोयी । नी में कमली होई,

Roop salona dekh shyam ka sudh budh meri khoi ni mai kamli hoi

कमली श्याम दी कमली, नी कमली श्याम दी कमली,
रूप सलोना देख श्याम का, सुध बुध मेरी खोयी ।
नी में कमली होई, नी में कमली होई,
नी में कमली होई, नी में कमली होई ॥

सखी पनघट पर, यमुना के तट पर, लेकर पहुंची मटकी,
भूल गयी सब एक बार जब, छवि देखि नटखट की ।
देखत ही में हुईं बाँवरी उसी रूप में खोयी,
नी में कमली होई, नी में कमली होई ॥
रूप सलोना देख श्याम का, सुध बुध मेरी खोयी ।
नी में कमली होई, नी में कमली होई ॥

कदम के नीचे अखियाँ मीचे, खड़ा था नन्द का लाला,
मुख पर हंसी, हाथ में बंसी, मोर मुकुट माला ।
तान सुरीली मधुर नशीली, तनमन दियो भिगोई,
नी में कमली होई, नी में कमली होई ॥
रूप सलोना देख श्याम का, सुध बुध मेरी खोयी
Bhajan potli
नी में कमली होई, नी में कमली होई ॥

सास ननद मुझे पल पल कोसे, हर कोई देवे ताने,
बीत रही मुझ बिरहन पर, ये कोई ना जाने ।
पूछे सब निर्दोष बाँवरी, तट पे तू कहे गयी,
नी मैं कमली होई, नी मैं कमली होई॥
रूप सलोना देख श्याम का, सुध बुध मेरी खोयी ।
नी में कमली होई, नी में कमली होई ॥
#meerabhajan

श्रेणी:

कृष्ण भजन

स्वर:

Brijwasi Dewakar Sharmaji

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