श्याम नाम की मेहंदी रचाकर घुंघट में शरमाऊगी
Shyam naam ki mehandi rachakar ghunghat me sharmaungi
शाम नाम की मेहदी रचाकर घूंघट में शरमाऊगी
बन के दुलहनिया शाम पिया की ब्रज नगरी अब जाऊँगी
शाम नाम की मांग भरी और शाम चुनरिया ओढी रे
शाम प्रीत संग राची ऐसी दुनिया से मुख मोडी रे
वो मेरा हो जायेगा और मै उसकी हो जाऊंगी
बन के दुलहनिया शाम पिया की ब्रज नगरी अब जाऊँगी
गईया चराने वो जायेंगे मै उनके संग जाऊँगी
शाम बजायेंगे बंसी और मै नाचूँ गी गाऊगी
थक जायेंगे शाम पिया तब उनके चरण दबाऊगी
बन के दुलहनिया शाम पिया की ब्रज नगरी अब जाऊँगी
सूरज रंग चढा मेहदी का मै ते ऐसे लाल भई
शाम पिया की बन के सुहागन सातों जन्म निहाल हुई
अमर सुहागन कहलाऊगी जीवन सफल बनाऊगी
बन के दुलहनिया शाम पिया की ब्रज नगरी अब जाऊँगी
शाम नाम की मेहदी रचाकर घूंघट में शरमाऊगी
बन के दुलहनिया शाम पिया की ब्रज नगरी अब जाऊँगी
श्रेणी:
कृष्ण भजन
स्वर:
अनीता सोबती जी