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है जरूरत प्रेम की भगवान पाने के लिए

प्रेम से उनको भजो उन को रिझाने के लिए,
है जरूरत प्रेम की भगवान पाने के लिए!!

देखो दुर्योधन का भोजन भाया ना भगवान को,
घर विदुर के आ गए हैं छिलका वह खाने के लिए,
है जरूरत प्रेम की भगवान पाने के लिए!!

भक्त की ज़िद देखकर दिल हिल गया भगवान का,
आ गए धन्ना की रोटी साग खाने के लिए,
है जरूरत प्रेम की भगवान पाने के लिए!!

टूटे-फूटे देखकर चावल सुदामा मित्र के,
कैसे ललचाए प्रभु तुम दाने दाने के लिए,
है जरूरत प्रेम की भगवान पाने के लिए!!

जिसके दिल में प्रेम है सच्चा पुजारी है वही,
यूं तो फिरते हैं सभी घंटी बजाने के लिए,
है जरूरत प्रेम की भगवान पाने के लिए!!

श्रेणी:

कृष्ण भजन

स्वर:

बृजवासी दिवाकर शर्मा जी

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